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कुल्लियतुल बनातिर रजविया मदरसा विवाद में आयुक्त बस्ती मंडल का बड़ा फैसला

  • Writer: Sadre Alam khan
    Sadre Alam khan
  • Aug 25
  • 3 min read

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गाटा संख्या 154 पर कलेक्टर का आदेश निरस्त, मामला पुनः सुनवाई हेतु लौटाया गया।


Akhilesh Singh IAS #विवाद


संतकबीरनगर।

जिले में लंबे समय से चर्चा का विषय बने कुल्लियतुल बनातिर रजविया एजुकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी से जुड़े भूमि विवाद में अब नया मोड़ आ गया है। आयुक्त बस्ती मंडल अखिलेश सिंह ने 10 जुलाई 2025 को पारित आदेश में कलेक्टर संतकबीरनगर के पुराने निर्णय को आंशिक रूप से निरस्त करते हुए विवाद को पुनः सुनवाई हेतु कलेक्टर की अदालत में वापस भेज दिया है।

क्या है विवाद?

• सोसाइटी ने 28 अगस्त 2014 को खलीलाबाद स्थित गाटा संख्या 154 (0.0640 हे०) की भूमि खरीदी थी, जिसकी रजिस्ट्री 02 सितम्बर 2014 को हुई।

• आपत्ति उठाई गई कि सोसाइटी के संस्थापक सदस्य शमसुल होदा खाँ 19 दिसम्बर 2013 से ब्रिटिश नागरिक हैं।

• विदेशी नागरिक द्वारा या उनके नियंत्रण में भूमि क्रय राजस्व संहिता की धारा 90, 104 व 105 का उल्लंघन माना गया।

• इसी आधार पर कलेक्टर ने 12 फरवरी 2024 को आदेश पारित कर उक्त भूमि को राज्य सरकार में निहित कर दिया था।

सोसाइटी का क्या है पक्ष

• संस्था का कहना है कि वह सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत भारतीय संस्था है।

• विवादित भूमि संस्था ने खरीदी है, किसी विदेशी नागरिक ने नहीं।

• शमसुल होदा अब संस्था के सदस्य नहीं हैं, अतः कलेक्टर का आदेश त्रुटिपूर्ण है।

वही इस मामले पर सोसाइटी के प्रबंधक तौसीफ रज़ा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा –

"यह पूरा मामला दरअसल पारिवारिक विवाद से शुरू हुआ। मेरी बहन की शादी एक व्यक्ति से हुई थी लेकिन रिश्ता आगे नहीं चल पाया। उसी विवाद को आधार बनाकर हमारे परिवार और मदरसे के खिलाफ झूठी शिकायतें की गईं। प्रशासन को गलत सूचना देकर हमारे विद्यालय को सील कराया गया और मुझ व मेरे पिता शमसुल होदा पर कई मुकदमे दर्ज कराए गए।"

उन्होंने कहा कि कई प्रकरणों में उन्हें माननीय उच्च न्यायालय से स्टे ऑर्डर प्राप्त हुआ है। तौसीफ रज़ा का यह भी कहना है –

"हमारी संस्था पूरी तरह भारतीय कानून के अंतर्गत कार्य कर रही है। किसी भी प्रकार की अवैध विदेशी फंडिंग या गैरकानूनी भूमि खरीद का आरोप निराधार है। आयुक्त महोदय का निर्णय हमारे लिए न्याय की दिशा में एक बड़ी राहत है।"

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आरोप क्या है।

• विपक्षी श्रीमती आसिया खातून व राज्य सरकार ने तर्क दिया कि शमसुल होदा विदेशी नागरिक हैं और उनकी अध्यक्षता में बनी संस्था को पूर्णतः भारतीय संस्था नहीं माना जा सकता।

• इसलिए 2014 की खरीद अवैध है और कलेक्टर का आदेश उचित था।


वही मंडला आयुक्त अखिलेश सिंह ने जिलाधिकारी द्वारा लिए गए फैसले पैसा वाले निशान खड़ा करते हुए कहा कि

• कलेक्टर ने अपने आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया कि संस्था “भारतीय नागरिक” की परिभाषा में आती है या नहीं।

• यह भी नहीं देखा गया कि विदेशी नागरिक बनने के बाद शमसुल होदा की सोसाइटी में कानूनी स्थिति क्या है।

• ऐसे में सहायक रजिस्ट्रार सोसाइटीज से रिपोर्ट लेकर इस बिंदु पर स्पष्ट निर्णय आवश्यक है।

मंडला आयुक्त ने आदेश दिया कि


• निगरानी आंशिक रूप से स्वीकार की गई।

• कलेक्टर का आदेश दिनांक 12.02.2024 गाटा संख्या 154 के संबंध में निरस्त किया गया।

• विवाद को पुनः विचारार्थ कलेक्टर संतकबीरनगर की अदालत में भेजा गया।

• गाटा संख्या 158 व 245 पर कलेक्टर का पूर्व आदेश यथावत रहेगा।

• कलेक्टर को निर्देश दिया गया है कि सभी पक्षों को सुनकर गुण-दोष के आधार पर नया आदेश पारित करें।

अब देखना होगा की मामला एक बार फिर कलेक्टर संतकबीरनगर की अदालत में सुना जाएगा। मुख्य प्रश्न यही रहेगा कि –

• क्या कुल्लियतुल बनातिर रजविया सोसाइटी “भारतीय नागरिक” की परिभाषा में आती है या नहीं?

• और यदि नहीं, तो 2014 की भूमि खरीद वैध मानी जाएगी या निरस्त की जाएगी?

 
 
 

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