top of page

न्यायालय आयुक्त बस्ती मंडल ने रजिस्ट्रार के आदेश पर लगाई अंतरिम रोक

  • Writer: Sadre Alam khan
    Sadre Alam khan
  • Nov 2
  • 2 min read

ree

कुल्लियतुल बनातिर रजविया एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संचालन विवाद में तौसीफ रजा खान को मिली राहत


संतकबीरनगर। बस्ती मंडल के न्यायालय आयुक्त ने कुल्लियतुल बनातिर रजविया एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संचालन विवाद में एक महत्वपूर्ण अंतरिम निर्णय देते हुए सहायक रजिस्ट्रार, फर्म्स सोसाइटीज एवं चिट्स, गोरखपुर मंडल के आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश सहायक रजिस्ट्रार द्वारा 10 अक्टूबर 2025 को पारित किया गया था, जिसके विरुद्ध सोसाइटी के प्रबंधक तौसीफ रजा खान ने अपील दायर की थी।

अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि सहायक रजिस्ट्रार द्वारा पारित आदेश एकतरफा एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों (Principles of Natural Justice) के प्रतिकूल है, क्योंकि इसमें प्रभावित पक्ष को सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं किया गया। खान ने यह भी उल्लेख किया कि प्रतिवादी शमशुल हुदा का वर्तमान में संस्था से कोई संवैधानिक या वैधानिक संबंध नहीं है, तथा उन्होंने दिसंबर 2013 में ब्रिटेन की नागरिकता ग्रहण कर ली थी। अतः भारतीय नागरिकता त्यागने के उपरांत वे सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत किसी भी भारतीय संस्था के पदाधिकारी या सदस्य नहीं रह सकते।

अपील में यह भी प्रतिपादित किया गया कि सोसाइटी पूर्णतः जनपद संतकबीरनगर के स्थानीय नागरिकों द्वारा स्थापित एवं संचालित की जा रही है और कभी भी किसी अवैध या गैरकानूनी गतिविधि में संलिप्त नहीं रही। खान ने यह भी कहा कि बिना किसी दस्तावेजी जांच, सत्यापन अथवा प्रतिपक्ष को सुनवाई का अवसर दिए बिना पारित आदेश न्यायिक मर्यादाओं और विधिक सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है।

न्यायालय आयुक्त, बस्ती मंडल ने दिनांक 29 अक्टूबर 2025 को पारित अपने आदेश में अपीलकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों एवं पत्रावली का अवलोकन करने के पश्चात सहायक रजिस्ट्रार के आदेश को अगले आदेश तक स्थगित (Stayed) कर दिया है। साथ ही, न्यायालय ने मूल पत्रावली तलब करते हुए प्रतिपक्ष को समन जारी करने का निर्देश दिया है। प्रकरण की अगली सुनवाई 12 नवंबर 2025 को निर्धारित की गई है।

गौरतलब है कि इससे पूर्व भी उक्त संस्था से संबंधित संपत्ति विवाद के संदर्भ में आयुक्त न्यायालय ने यह स्वीकार किया था कि संबंधित “ब्रिटिश मौलाना” का मदरसे की भूमि अथवा प्रबंधन से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। बावजूद इसके, जिला प्रशासन द्वारा मदरसे को सील किए जाने की कार्रवाई पर अब कानूनी प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है।

संस्थान के संस्थापक तौसीफ रजा खान का कहना है कि “यह एक शैक्षणिक और सामाजिक संस्था है, जिसके संचालन में प्रशासनिक हस्तक्षेप न केवल संविधान प्रदत्त स्वतंत्रता (Article 19(1)(c)) का उल्लंघन है, बल्कि शिक्षा के अधिकार से जुड़े सैकड़ों छात्रों के भविष्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि यदि न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट किया जा चुका है कि विदेशी नागरिक का संस्था से कोई वैधानिक सरोकार नहीं है, तो जिला प्रशासन को अब मदरसे की मूल स्थिति बहाल कर, छात्रों की पढ़ाई और संस्था के संचालन को पुनः प्रारंभ करने की दिशा में कार्यवाही करनी चाहिए।

अब पूरा जनपद इस बात को लेकर प्रश्नवाचक है कि जब मंडल आयुक्त ने तथ्यों और नागरिकता के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट कर दी है, तो जिला प्रशासन मदरसे की सील हटाने में असमंजस की स्थिति क्यों बनाए हुए है।

 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page