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पुलिस हिरासत में दलित वारंटी की संदिग्ध मौत, परिजनों का हंगामा — नगुआ गांव छावनी में तब्दील

  • Writer: Sadre Alam khan
    Sadre Alam khan
  • Jul 15
  • 2 min read

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संतकबीरनगर |महुली थाना क्षेत्र के ग्राम नगुआ में पुलिस हिरासत के दौरान एक दलित बुजुर्ग की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक की पहचान राम किशुन (60 वर्ष), पुत्र बुझई के रूप में हुई है। परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बीमार होने के बावजूद राम किशुन को जबरन चौकी ले जाया गया, जिससे उनकी मौत हो गई। मामले ने तूल पकड़ लिया है और गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

बीमार होने के बावजूद जबरिया उठा ले गई पुलिस

ग्रामीणों के अनुसार सोमवार शाम को शनिचरा बाबू पुलिस चौकी के सिपाही नगुआ गांव पहुंचे और दो वारंटियों — मतई पुत्र मोतीलाल व राम किशुन — को मंगलवार सुबह चौकी बुलाया। साथी वारंटी मतई के अनुसार मंगलवार सुबह करीब 8 बजे पुलिस राम किशुन के घर पहुंची और बीमार होने की हालत में भी उन्हें जबरिया चौकी ले गई।

परिजनों का आरोप है कि राम किशुन हृदय रोगी थे और उस वक्त भोजन कर रहे थे। पुलिस ने न केवल उन्हें खाना नहीं खाने दिया, बल्कि दवा देने की भी इजाजत नहीं दी और जबरन बाइक पर बैठाकर ले गई।

चौकी पहुंचते ही बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में मृत घोषित

साथी वारंटी मतई के अनुसार, चौकी पर पहुंचते ही राम किशुन की तबीयत और बिगड़ गई। इसके बाद पुलिस उन्हें एक निजी चिकित्सक के पास लेकर गई, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि चिकित्सक द्वारा मृत घोषित करने के बाद पुलिस शव को वहीं छोड़कर चली गई।

परिजनों का हंगामा, पोस्टमार्टम से इंकार

मौत की सूचना पर मृतक के घर पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई। पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रियम शेखर पांडेय और थानाध्यक्ष रजनीश राय ने परिजनों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन मृतक की पत्नी व पुत्री ने दिल्ली में रह रहे चारों बेटों के आने तक शव को पोस्टमार्टम के लिए न देने की जिद ठान ली।

मौके पर पहुंचे अपर पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार सिंह ने भी समझाने का प्रयास किया, लेकिन समाचार लिखे जाने तक परिजन शव को पोस्टमार्टम के लिए सौंपने को तैयार नहीं थे।

14 साल पुराना मामला बना मौत की वजह

ग्रामीणों के अनुसार, वर्ष 2011 में हुई एक मारपीट के मामले में राम किशुन सहित पांच लोगों के खिलाफ न्यायालय से वारंट जारी हुआ था। कथित रूप से बाद में दोनों पक्षों में सुलह भी हो गई थी। उसी मामले में पुलिस राम किशुन और मतई को हिरासत में लेकर शनिचरा बाबू चौकी लाई थी।

नगुआ गांव बना पुलिस छावनी

घटना की सूचना फैलते ही आसपास के गांवों से भी लोग मृतक के घर पहुंचने लगे। लोगों में पुलिस के प्रति गहरा आक्रोश देखने को मिला। हालात की गंभीरता को देखते हुए महुली व धनघटा थानों की पुलिस को मौके पर तैनात कर दिया गया। पूरे नगुआ गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है।


 
 
 

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