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मनरेगा में फर्जीवाड़े का गहराता जाल: आदेशों के बाद भी नहीं थम रहा भ्रष्टाचार,

  • Writer: Sadre Alam khan
    Sadre Alam khan
  • Jun 8
  • 2 min read


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योगी सरकार जीरो टॉलरेंस नीति पर बनाई गई की निगरानी समित हुई बेलगाम,सरकार के आदेश को लिया आड़े हाथ


संतकबीरनगर (विशेष रिपोर्ट निज संवादाता)


संतकबीरनगर। जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में भ्रष्टाचार के मामलों पर अंकुश लगाना प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा है। संयुक्त विकास आयुक्त (मनरेगा) भूपेंद्र कुमार सिंह द्वारा स्पष्ट निर्देश जारी किए जाने के बावजूद ज़मीनी स्तर पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही से योजना में फर्जीवाड़े का खेल धड़ल्ले से जारी है।


खलीलाबाद, सेमरियावा, मेहदावल, बेलहर, सांथा, नाथनगर, हैसर, पौली, बघौली जैसे ब्लॉकों में फर्जी मस्टररोल का खेल बेखौफ चल रहा है। सांथा ब्लॉक तो इस भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है, जहां जिम्मेदार अधिकारी "खाऊ-कमाऊ" नीति पर चलते हुए इस खेल को मौन संरक्षण दे रहे हैं।


ताजा मामला सांथा ब्लॉक के ग्राम पंचायत बौरब्यास का है, जहां मस्टररोल में दर्ज मजदूरों की संख्या और कार्यस्थल पर मौजूद मजदूरों की संख्या में बड़ा अंतर पाया गया। 40 मजदूरों की सूची में महज 10 मजदूर ही साइड पर दिखाए जा रहे हैं और उन्हीं की तस्वीरों को कई बार इस्तेमाल कर मस्टररोल भर दिया जाता है। एक ही फोटो को चार कार्यों में लगाने की बात भी सामने आई है।


वहीं, सुरेश के खेत के बगल में खुदाई के एक कार्य में भी गंभीर अनियमितता उजागर हुई है। पंचायत में नियुक्त तकनीकी सहायक बिना स्थल पर गए ही ऑफिस में बैठकर माप बुक (एमबी) तैयार करता है, जिसे सचिव और बीडीओ कार्यालय से होकर सीधे भुगतान तक पहुंचा दिया जाता है। यह साफ दर्शाता है कि कागज़ों में ही योजनाओं को 'पूरा' कर सरकारी धन की बंदरबांट हो रही है।


इन गड़बड़ियों को देखते हुए अब शासन ने सख्त रुख अपनाया है। प्रदेश सरकार ने मनरेगा कार्यों में फर्जी फोटो और हाजिरी के मामलों पर रोक लगाने के लिए निगरानी प्रणाली को और कठोर बनाया है। अब जिले की 400 से अधिक ऐसी परियोजनाओं की रोजाना जांच की जाएगी, जिनमें 40 से अधिक मजदूर लगे हैं।


ग्राम्य विकास विभाग द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी एनएमएमएस पोर्टल पर अपलोड हो रही मजदूरों की फोटो, नाम, समय और मस्टररोल की सटीकता का मिलान कर रिपोर्ट तैयार करेंगे। यह रिपोर्ट निगरानी रजिस्टर में दर्ज की जाएगी और हर पखवाड़े मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) द्वारा उसका सत्यापन किया जाएगा।


सरकारी सूत्रों के अनुसार, कई ग्राम पंचायतों में मई-जून जैसी भीषण गर्मी के महीनों में भी मजदूरों की ठंड के कपड़े पहने तस्वीरें अपलोड की जा रही हैं, जो फर्जीवाड़े का स्पष्ट संकेत है।


संयुक्त विकास आयुक्त भूपेंद्र कुमार सिंह द्वारा सभी जिलों के सीडीओ और जिला एपीओ को निर्देशित किया गया है कि यदि किसी भी निगरानी रजिस्टर में गड़बड़ी पाई जाती है, तो संबंधित ग्राम पंचायत और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।



इस मामले पर क्या कहते है जिले के जिम्मेदार।



मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना है, लेकिन स्थानीय स्तर पर फैले भ्रष्टाचार ने इसके उद्देश्य को पंगु बना दिया है। शासन की सख्ती अब उन भ्रष्ट तंत्रों की नींद उड़ाने लगी है जो अब तक इस योजना को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। आने वाले समय में इन अनियमितताओं पर अंकुश लगाना शासन की प्राथमिकता होगी, और दोषियों की जवाबदेही तय की जाएगी।


 
 
 

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