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मानवता की मिसाल: एक ओर मुस्लिम कब्रिस्तान और ईदगाह तो दूसरी ओर श्मशान घाट का निर्माण – पचपोखरिया गांव में भाईचारे की नजीर

  • Writer: Sadre Alam khan
    Sadre Alam khan
  • Jun 25
  • 2 min read

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ग्राम प्रधान अशफाक खान और जिला पंचायत सदस्य अख्तर खान के नेतृत्व में हुआ अनूठा कार्य, इंजीनियर महफूज अहमद खान का रहा अहम योगदान


संतकबीरनगर, सेमरियावा।

इस दौर में जहां समाज धर्म और जाति की दीवारों में बंटा नजर आता है, वहीं संतकबीरनगर जिले के पचपोखरिया गांव ने एक ऐसी मिसाल पेश की है जो आने वाली पीढ़ियों को इंसानियत का पाठ पढ़ाएगी। यहां एक ओर मुस्लिम समुदाय के लिए कब्रिस्तान तो दूसरी ओर हिंदू समुदाय के लिए श्मशान घाट का निर्माण कराकर गांव के लोगों ने दिखा दिया कि इंसानियत से बड़ा कोई मज़हब नहीं होता।



इस ऐतिहासिक कार्य को अंजाम दिया है गांव के ही सात भाइयों के परिवार ने, जिनमें प्रमुख भूमिका निभाई ग्राम प्रधान मोहम्मद अशफाक खान और जिला पंचायत सदस्य अख्तर खान ने। समाजसेवा की भावना से ओतप्रोत इस परिवार ने लगभग ₹35 लाख की लागत से गांव में ईदगाह, कब्रिस्तान और श्मशान घाट का निर्माण कराया।



जब एक सपना बना संकल्प



गांव में वर्षों से अंतिम संस्कार की समुचित व्यवस्था का अभाव था। हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों को अपने प्रियजनों की अंत्येष्टि के लिए गांव से बाहर जाना पड़ता था। ग्राम प्रधान अशफाक खान और जिला पंचायत सदस्य अख्तर खान इस समस्या को लेकर वर्षों से चिंतित थे।



दोनों भाइयों ने जब इस विचार को अपने परिवार के समक्ष रखा, तो सभी भाइयों ने इसे इंसानियत का फर्ज़ मानते हुए बिना किसी सरकारी मदद के स्वयं आर्थिक सहयोग देना स्वीकार किया। इस नेक कार्य में सबसे बड़ा सहयोग रहा इंजीनियर हाजी महफूज अहमद खान का, जो दुबई में रहकर भी अपने गांव की पीड़ा को महसूस करते हैं।



कौन हैं हाजी इंजीनियर महफूज अहमद खान?



पेशे से इंजीनियर और स्वभाव से सामाजिक कार्यकर्ता, महफूज खान सात भाइयों में से दूसरे भाई हाजी मकबूल अहमद खान के बेटे हैं। सामाजिक सरोकारों में हमेशा आगे रहने वाले महफूज खान ने कहा – “सरकारी फंड मिले या ना मिले, लेकिन गांव के लोगों को अंतिम विदाई की इज्जत जरूर मिलनी चाहिए।”



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धरती पर उतरा कबीर का दर्शन



पचपोखरिया गांव का यह कार्य उस संत कबीर की धरती पर हुआ है, जिनकी वाणी में हमेशा हिंदू-मुस्लिम एकता की गूंज रही है। गांव में शांति और सौहार्द की यह तस्वीर तब और जीवंत हो उठी, जब एक ओर कब्रिस्तान और दूसरी ओर श्मशान घाट का निर्माण हुआ – बिल्कुल एक ही परिसर में, जहां दोनों समुदायों की भावनाओं का समान सम्मान किया गया।



गांव के लोगों ने दिया भरपूर साथ



गांव के संभ्रांत नागरिकों इनामुल्लाह, अब्दुल रहीम, गंगाराम चौधरी, राम शंकर प्रजापति, दिलीप कुमार, परमात्मा प्रसाद, मोहम्मद रफीक, मुस्ताक अहमद समेत सैकड़ों ग्रामीणों ने इस कार्य को अपने श्रम और समर्थन से सफल बनाया।



जिला पंचायत सदस्य अख्तर खान ने इस मौके पर कहा – "हमारी कोशिश यही है कि गांव में शेर और बकरी एक घाट पर पानी पी सकें। धर्म इंसानियत के रास्ते से होकर गुजरता है, और यही हमने करने की कोशिश की है।"



एक परिवार, एक सोच – गांव के लिए समर्पण



इस पूरे अभियान में सात भाइयों के परिवार ने जो एकता, संवेदना और दूरदर्शिता दिखाई, वह समाज के हर वर्ग के लिए एक प्रेरणा है। व्यापार, राजनीति और सामाजिक सेवा – तीनों क्षेत्रों में सक्रिय इस परिवार ने दिखाया कि जब इरादे नेक हों, तो संसाधनों की कमी कभी आड़े नहीं आती।

✍️ विशेष संवाददाता


सिटी समाचार डिजिटल, संतकबीरनगर

 
 
 

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