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भ्रष्टाचार की जड़ विकाश भवन तक फैली, सोशल ऑडिट के नाम पर हो रही धन उगाही का खेल

  • Writer: Sadre Alam khan
    Sadre Alam khan
  • Jul 8
  • 2 min read

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चहेते बीआरपी को नियमों के विरुद्ध सौंपे गए भारी कार्य वाले गांव, सोशल ऑडिट कैलेण्डर में अनियमितता उजागर


निदेशालय ने जिला विकास अधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण, तीन दिन में रिपोर्ट तलब



स्पेशल डेस्क: संतकबीरनगर



उत्तर प्रदेश ग्राम्य विकास विभाग के सोशल ऑडिट निदेशालय, लखनऊ द्वारा जारी निर्देशों की अनदेखी करते हुए संतकबीरनगर जिले में सोशल ऑडिट कैलेण्डर को मनमाने ढंग से तैयार किया गया है। निदेशक सोशल ऑडिट कमलेश कुमार ने इस मामले में जिला विकास अधिकारी से तीन कार्य दिवस के भीतर जवाब तलब किया है।



सूत्रों के अनुसार, दिनांक 17 मई 2025 को जारी जनपद स्तरीय सोशल ऑडिट कैलेण्डर (आदेश संख्या 117/सोशल ऑडिट सेल/कैलेण्डर/2025-26) में कई गंभीर खामियां पाई गईं। निरीक्षण में पाया गया कि ग्राम पंचायतों का आवंटन ब्लॉक रिसोर्स पर्सन्स (BRP) और सोशल ऑडिट कोऑर्डिनेटर्स को मनमाने ढंग से किया गया, जो निदेशालय के पूर्व दिशा-निर्देशों के विरुद्ध है।



सबसे गंभीर आरोप यह है कि सोशल ऑडिट टीम गठन के बाद से ही गांवों के आवंटन में पैसों का खेल शुरू हो जाता है। नाम न छापने की शर्त पर एक पूर्व बीआरपी ने खुलासा किया कि उन ग्राम सभाओं में जहां 50 लाख या उससे अधिक के मनरेगा कार्य हुए हैं, वहां ऑडिट की "बोली लगाई जाती है। जबकि जिन गांवों में करोड़ों रुपये के कार्य हुए हैं, वहां यह सौदेबाज़ी लाखों में होती है।



आरोप है कि इस खेल में कुछ चहेते बीआरपी को ही ऐसे लाभदायक गांव आवंटित किए जाते हैं, जिससे कमिशन का नेटवर्क चलता रहे। बताया जा रहा है कि इस पैसे का हिस्सा विकास भवन के कर्मचारियों तक भी पहुंचता है।



फिलहाल सोशल ऑडिट निदेशालय ने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला समन्वयक अश्विनी पांडे से भी तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है और संशोधित कैलेण्डर की प्रति निदेशालय को भेजने का निर्देश दिया है। इस कार्रवाई से जिले के प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है।



अब देखना यह है कि सिर्फ कैलेण्डर में हुई अनियमितताओं तक सीमित रहकर कार्रवाई होती है या फिर सोशल ऑडिट के नाम पर चल रहे कथित भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचने का साहस भी स्थानीय प्रशासन करता है।

 
 
 

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