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हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं हुई अतिक्रमण पर कार्रवाई, पीड़िता ने आयुक्त से की न्याय की गुहार

  • Writer: Sadre Alam khan
    Sadre Alam khan
  • Jun 9
  • 2 min read

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संत कबीर नगर। ग्राम सिरमोहनी निवासी एक महिला ने अतिक्रमण के गंभीर मामले में न्याय न मिलने पर मंडलायुक्त बस्ती से गुहार लगाई है। महिला का आरोप है कि ग्राम सभा की गाटा संख्या 231, जो कि सरकारी गड़ही (पानी की जमीन) है, उस पर अयोध्या सिंह नामक व्यक्ति द्वारा अवैध निर्माण कर लिया गया है। इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा आदेशित दो माह की समयसीमा के बावजूद अब तक उचित कार्रवाई नहीं की गई है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीड़िता द्वारा वर्ष 2020 से ही तहसीलदार न्यायालय खलीलाबाद में मामला वाद संख्या T202017650205071 के अंतर्गत धारा 67(1), उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के तहत दाखिल किया गया था। मामला कई वर्षों से लंबित था, जिसके चलते पीड़िता ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका (संख्या 13521/2023) दाखिल की। इस पर न्यायालय ने दिनांक 3 अगस्त 2023 को स्पष्ट आदेश जारी करते हुए दो माह के भीतर वाद का निस्तारण करने का निर्देश दिया।


उक्त आदेश के अनुपालन में तहसीलदार ने एक जांच टीम का गठन कर पैमाइश कराए जाने के आदेश दिए। परंतु आरोप है कि अतिक्रमणकारी ने ग्राम समाज की गाटा संख्या 228 की बंजर भूमि में मकान बनवाते हुए गाटा 231 की गड़ही को भी अवैध रूप से कब्जे में ले लिया।


पीड़िता का यह भी आरोप है कि राजस्व निरीक्षक व हल्का लेखपाल ने मिलीभगत करते हुए आधी-अधूरी फील्डबुक तैयार कर, अतिक्रमणकर्ता को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया। जब दोबारा टीम गठित कर 2 मई 2025 को पैमाइश की गई, तब भी फील्डबुक और नक्शा मौके पर तैयार होने के बावजूद दाखिल नहीं किया गया। महिला का दावा है कि संबंधित अधिकारी अतिक्रमणकारी से नाजायज लाभ लेकर रिपोर्ट में हेराफेरी कर रहे हैं, ताकि उसे बचाया जा सके।


प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पीड़िता ने मंडलायुक्त, बस्ती से आग्रह किया है कि वह माननीय न्यायालय के आदेश के अनुपालन में फील्डबुक की सत्य प्रति न्यायालय में दाखिल कराना सुनिश्चित करें तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।


अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासनिक अमला न्यायालय के आदेश का पालन करता है या नहीं, और क्या ग्राम सभा की भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जा सकेगा।


 
 
 

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