ग्राम चौपाल बना वसूली चौपाल! जिम्मेदार नदारद, लिपिक के हाथों पहुंचता 'फरमान', प्रधानों में आक्रोश
- Sadre Alam khan
- Jul 26
- 2 min read

संतकबीरनगर। जिले में शासन की महत्वाकांक्षी योजना ग्राम चौपाल अपनी मूल भावना से भटकती नजर आ रही है। ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान का यह मंच अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता दिख रहा है। हर शुक्रवार को दो ग्राम पंचायतों में आयोजित होने वाली ग्राम चौपाल में जहां जिम्मेदार अधिकारी नदारद रहते हैं, वहीं विकास भवन के एक वरिष्ठ लिपिक के माध्यम से वसूली का खेल खुलेआम खेला जा रहा है।
ग्रामीणों की समस्याएं रह जाती हैं अनसुनी
मुख्य विकास अधिकारी के अनुमोदन से 3 जुलाई से 26 सितंबर तक 198 ग्राम पंचायतों में चौपाल का आयोजन होना तय है। उद्देश्य था कि अधिकारी गांव पहुंचकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुनें, सूचीबद्ध करें और संबंधित विभागों को संदर्भित कर त्वरित समाधान कराएं। लेकिन धरातल पर स्थिति बिल्कुल उलट है। अधिकतर जगहों पर केवल ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और कुछ ग्रामीणों की औपचारिक उपस्थिति में चौपाल की ‘औपचारिकता’ पूरी की जा रही है।
वसूली का नया तरीका!
सूत्रों की मानें तो ग्राम चौपाल अब विकास भवन के एक जिम्मेदार अधिकारी की 'कमाई' का जरिया बन गई है। एक वरिष्ठ लिपिक के जरिए ग्राम पंचायतों में वसूली का संदेश भेजा जाता है। शिकायत न मानने पर विकास कार्यों की जांच की धमकी दी जाती है। दावा है कि यह डिमांड ₹50,000 से शुरू होकर सौदेबाजी के बाद ₹10,000 प्रति पंचायत पर निपटा दी जाती है।
प्रधानों में भारी आक्रोश
इस कथित वसूली के खेल से त्रस्त ग्राम प्रधान अब खुलकर सामने आने लगे हैं। कई प्रधानों ने एकजुट होकर ग्राम विकास मंत्री से शिकायत करने की रणनीति बनाई है। उनका कहना है कि चौपाल अब ग्रामीणों की सेवा का मंच न रहकर 'वसूली का माध्यम' बन गई है।
जिलाधिकारी ने दिए जांच के संकेत
इस पूरे मामले में जब जिलाधिकारी आलोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि "ऐसी कोई शिकायत अब तक मेरे पास नहीं आई है, लेकिन यदि ऐसा है तो स्वतः संज्ञान लेकर मामले की जांच कराई जाएगी। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और ग्राम चौपाल की मॉनिटरिंग भी सुनिश्चित की जाएगी।"
"अंधेर नगरी, चौपट राजा" की मिसाल
चौपाल जैसे मंच का इस तरह मज़ाक बनाया जाना शासन की योजनाओं पर सीधा हमला है। मनरेगा जैसी योजनाएं पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही हैं और अब ग्राम चौपाल जैसी योजनाएं भी उन्हीं रास्तों पर जाती दिख रही हैं।
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