पावर कॉर्पोरेशन में उत्पीड़न के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का हल्ला बोल, प्रांतव्यापी चेतावनी दिवस पर फूटा गुस्सा, सामूहिक जेल भरो आंदोलन का ऐलान
- Sadre Alam khan
- Jun 27
- 2 min read

रिपोर्ट: सिटी समाचार डिजिटल ब्यूरो
संतकबीरनगर:उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर शुक्रवार को प्रदेशभर में बिजली कर्मचारियों ने पावर कारपोरेशन में लागू “आपातकाल जैसी स्थिति” के विरोध में चेतावनी दिवस मनाया। राजधानी लखनऊ सहित सभी जिलों और परियोजनाओं में बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारी एकत्र होकर विरोध सभा में शामिल हुए और सरकार व प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
सभा को संबोधित करते हुए संघर्ष समिति के पदाधिकारी इंजीनियर बागेश गुप्ता ने पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि स्टेट विजिलेंस के माध्यम से शीर्ष पदाधिकारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल की जयपुर, रानीखेत, ग्रेटर नोएडा, नोएडा और मथुरा स्थित संपत्तियों की जांच विजिलेंस से कराने की मांग की।
तनाव चरम पर, कर्मचारियों का सरकार को अल्टीमेटम
बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि उत्पीड़नात्मक कार्रवाई और निजीकरण की कोशिशें नहीं रुकीं तो वे बड़े स्तर पर सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिना सुनवाई और जांच के कर्मचारियों को बर्खास्त करने जैसे तानाशाहीपूर्ण संशोधन कर्मचारी सेवा नियमावली में किए जा रहे हैं।
एफआईआर के पीछे निजीकरण की साजिश
संघर्ष समिति के पदाधिकारी संजय यादव ने कहा कि 22 जून को हुई बिजली महापंचायत के बाद बौखलाए पावर कॉर्पोरेशन चेयरमैन और शासन के कुछ अधिकारियों ने स्टेट विजिलेंस के माध्यम से समिति के कई पदाधिकारियों पर झूठे और मनगढ़ंत एफआईआर दर्ज कराई हैं। उन्होंने दावा किया कि एफआईआर में आंकड़ों में जोड़-घटाव की गलती साफ दिखाई देती है, जो यह दर्शाता है कि इसे बदनाम करने और डराने के लिए जल्दबाजी में दर्ज किया गया है।
संविदा कर्मियों को निशाना बना रहा प्रबंधन
प्रदर्शन कर रहे बिजली कर्मियों ने यह भी आरोप लगाया कि संविदा कर्मचारियों की बिना वजह छंटनी की जा रही है और “फेसियल अटेंडेंस” के नाम पर वेतन में कटौती की जा रही है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की साजिश को कर्मचारी किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे।
212वें दिन भी जारी रहा विरोध
संघर्ष समिति का यह आंदोलन शुक्रवार को 212वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान दिलीप सिंह, राघवेन्द्र सिंह, सुनील कुमार प्रजापति, नारायण चंद्र चौरसरिया, रमेश प्रजापति, मनोज यादव, धीरेन्द्र यादव समेत सैकड़ों कर्मचारी मौजूद रहे और निजीकरण के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस प्रकरण में हस्तक्षेप करते हुए चेयरमैन की संपत्तियों की निष्पक्ष जांच और उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
.png)



Comments