
विकास के मुद्दे पर दो फाड़ में बटा सेमरियावा ब्लॉक आरोप प्रत्यारोप का सलसिला जारी।
- Sadre Alam khan
- Aug 29
- 2 min read

पूर्व ब्लॉक प्रमुख महमूद आलम चौधरी और भाजपा नेता विकास चौधरी ने डीएम को दिया पत्र, खंड विकास अधिकारी पर फर्जी कार्ययोजना से करोड़ों की निकासी का आरोप
संतकबीरनगर।
जनपद संतकबीरनगर के सेमरियावा ब्लॉक में पंचायत निधि को लेकर एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। करोड़ों रुपये की निकासी के मुद्दे पर ब्लॉक दो हिस्सों में बंट गया है। शुक्रवार को पूर्व ब्लॉक प्रमुख महमूद आलम चौधरी और भाजपा के युवा नेता व प्रधान प्रतिनिधि विकास चौधरी के नेतृत्व में दर्जनों क्षेत्र पंचायत सदस्य जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और डीएम को ज्ञापन सौंपा।
शिकायतकर्ताओं ने ब्लॉक प्रमुख मजहरून निशा और खंड विकास अधिकारी सेमरियावा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पंचायत राज अधिनियम 1947 की धारा 49 का उल्लंघन कर फर्जी कार्ययोजना बनाकर अवैध धन निकासी की साजिश रची है।

बैठक बुलाए बिना स्वीकृति का आरोप
पूर्व ब्लॉक प्रमुख महमूद आलम चौधरी ने बताया कि नियम के मुताबिक कार्ययोजना का अनुमोदन केवल विधिवत बैठक और बहुमत से होना चाहिए। लेकिन ब्लॉक प्रशासन ने बैठक बुलाए बिना ही योजनाओं को स्वीकृत करने तथा करोड़ों रुपये की निकासी की तैयारी कर ली।
उन्होंने कहा कि 25 अगस्त 2025 को बैठक बुलाई गई थी, किंतु ब्लॉक प्रमुख जानबूझकर अनुपस्थित रहीं, जिससे बैठक नहीं हो सकी। अब पुराने प्रस्तावों में संशोधन कर अवैध भुगतान का प्रयास किया जा रहा है।
पूर्व में भी उजागर हो चुका है फर्जीवाड़ा
क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व में भी ब्लॉक से जुड़े फर्जी टेंडर घोटाले उजागर हो चुके हैं। तत्कालीन अधिकारी इसमें दोषी पाए गए थे। यहां तक कि फाइल गायब करने के मामले में प्रमुस पुत्र मुश्ताक अहमद पर मुकदमा दर्ज है, जिसमें कई अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई थी। चार वर्षों से नियमित बैठकें न होना यह साबित करता है कि योजनाबद्ध तरीके से भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

जांच और कार्रवाई की मांग
भाजपा नेता विकास चौधरी ने डीएम से बातचीत में कहा कि यह मामला केवल वित्तीय अनियमितता का नहीं, बल्कि पंचायती व्यवस्था की पारदर्शिता और जनता के विश्वास पर सीधा हमला है।उन्होंने मांग की कि पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच मंडलायुक्त, सतर्कता विभाग या एसआईटी से कराई जाए। जांच पूर्ण होने तक किसी भी प्रकार की धनराशि निकासी और कार्ययोजना की स्वीकृति पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही, दोषियों पर पंचायत राज अधिनियम और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कठोर कार्रवाई की जाए।
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